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एंजियोप्लास्टी: सर्जरी, प्रक्रिया, प्रकार, फायदे, जटिलताएं और रिकवरी

Last Updated On: Feb 20 2025

एंजियोप्लास्टी क्या है?

एंजियोप्लास्टी एक मेडिकल प्रक्रिया है जो संकुचित या ब्लॉक हो चुकी धमनियों में रक्त प्रवाह को फिर से बहाल करने में मदद करती है। ये प्रक्रिया आमतौर पर दिल से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए की जाती है, जैसे कि कोरोनरी आर्टरीज़ में प्लाक जमा हो जाने से रक्त प्रवाह कम हो जाता है।

एंजियोप्लास्टी सर्जरी में आमतौर पर एक छोटा बैलून ब्लॉक्ड आर्टरी में डाला जाता है और इसे फूलाया जाता है ताकि आर्टरी को चौड़ा किया जा सके। कभी-कभी स्टेंट भी डाला जाता है ताकि आर्टरी खुली रहे। यह एक न्यूनतम आक्रमणात्मक प्रक्रिया है जो रक्त प्रवाह बढ़ाने और दिल के दौरे के खतरे को कम करने में मदद करती है।

किसे एंजियोप्लास्टी की जरूरत होती है?

  • एंजियोप्लास्टी उन लोगों को सुझाई जाती है जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) है, जिसमें दिल को रक्त पहुंचाने वाली आर्टरीज़ प्लाक जमने से संकुचित हो जाती हैं।
  • जिन्हें खराब आहार, धूम्रपान, और शारीरिक गतिविधि की कमी जैसी जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं हैं, उन्हें CAD का जोखिम अधिक होता है।
  • जो लोग छाती में दर्द (एंजाइना), सांस की कमी, या दिल के दौरे से पीड़ित हो चुके हैं, वे एंजियोप्लास्टी के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं।
  • यह उन लोगों के लिए भी सुझाई जाती है जिनके लिए दवाइयाँ या जीवनशैली में बदलावों से दिल की बीमारी के जोखिम को कम करना मुश्किल हो रहा हो।

एंजियोप्लास्टी किसे इलाज करती है?

एंजियोप्लास्टी का उपयोग उन कोरोनरी आर्टरीज़ के इलाज के लिए किया जाता है जो रक्त में ऑक्सीजन की कमी को दिल तक पहुंचाती हैं। इस स्थिति को दिल की बीमारी के रूप में जाना जाता है, जो मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

यह प्रक्रिया एंजाइना के लक्षणों को राहत देने, दिल के दौरे के जोखिम को कम करने और दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में प्रभावी है। इसके अतिरिक्त, इसे पैर की धमनियों (Peripheral Artery Disease, PAD) की संकुचन जैसी समस्याओं के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।

एंजियोप्लास्टी कितनी सामान्य है?

भारत में एंजियोप्लास्टी सर्जरी अब काफी सामान्य हो चुकी है, खासकर शहरी इलाकों में जहां उन्नत मेडिकल संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं। दिल की बीमारियों के बढ़ते मामलों के कारण, एंजियोप्लास्टी अब एक सामान्य उपचार बन चुका है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर साल एक मिलियन से ज्यादा एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाएं की जाती हैं, जिससे यह कोरोनरी आर्टरी डिजीज का सबसे आम इलाज बन गया है।

एंजियोप्लास्टी से पहले क्या होता है?

एंजियोप्लास्टी से पहले, मरीज की स्थिति की जांच करने के लिए कुछ परीक्षण और मूल्यांकन किए जाते हैं। इसमें आमतौर पर खून के टेस्ट, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG), और कोरोनरी एंजियोग्राफी जैसी इमेजिंग टेस्ट्स शामिल होती हैं, ताकि ब्लॉक्ड आर्टरीज़ को देखा जा सके।

मरीजों को एंजियोप्लास्टी से कुछ घंटे पहले उपवास रखने की सलाह दी जाती है, और कुछ दवाइयाँ, विशेष रूप से ब्लड थिनर्स, रोकने के लिए कहा जा सकता है। मरीज को अपनी मौजूदा मेडिकल स्थितियों के बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए ताकि सर्जरी के दौरान किसी भी जटिलता से बचा जा सके।

एंजियोप्लास्टी के दौरान क्या होता है?

एंजियोप्लास्टी एक न्यूनतम आक्रमणात्मक प्रक्रिया है, जो मुख्य रूप से संकुचित या ब्लॉक्ड धमनियों का इलाज करती है, खासकर दिल में। यह प्रक्रिया रक्त प्रवाह को बहाल करने और दिल के दौरे या गंभीर छाती के दर्द (एंजाइना) जैसी जटिलताओं से बचने का काम करती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 1 से 2 घंटे के भीतर पूरी होती है और इसे कैथ लैब में एक इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।

  • एंजियोप्लास्टी से पहले मरीज को हलका शांति देने वाली दवा दी जाती है, जिससे वह आराम महसूस करता है, लेकिन प्रक्रिया के दौरान जगा रहता है।
  • स्थानीय एनेस्थेटिक का उपयोग किया जाता है ताकि कैथेटर डालने वाली जगह (आमतौर पर कमर या कलाई) को सुन्न किया जा सके।
  • जब क्षेत्र सुन्न हो जाता है, तो डॉक्टर एक छोटा चीरा बनाकर एक पतला, लचीला ट्यूब (कैथेटर) आर्टरी में डालते हैं।
  • कैथेटर को धीरे-धीरे रक्त वाहिकाओं से होते हुए ब्लॉक्ड आर्टरी तक पहुँचाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में डॉक्टर वास्तविक समय में X-ray की मदद से (फ्लुओरोस्कोपी) कैथेटर की सही स्थिति देखते हैं, ताकि वह सही तरीके से आर्टरी में नेविगेट कर सकें।
  • जब कैथेटर ब्लॉक तक पहुँच जाता है, तो उसके सिरे पर लगे बैलून को फूलाया जाता है।
  • यह बैलून आर्टरी की दीवारों पर प्लाक को दबाता है, जिससे आर्टरी चौड़ी हो जाती है और रक्त प्रवाह बेहतर होता है।
  • कई मामलों में, एंजियोप्लास्टी के दौरान आर्टरी में स्टेंट भी डाला जाता है। स्टेंट एक छोटा, जाली जैसा धातु का ट्यूब होता है, जो आर्टरी को खुला रखने में मदद करता है।
  • स्टेंट को बैलून कैथेटर से जोड़ा जाता है और बैलून फूलने पर वह फैल जाता है।
  • जब स्टेंट सही जगह पर स्थापित हो जाता है, तो बैलून को ढीला कर के हटा लिया जाता है, और स्टेंट आर्टरी में स्थायी रूप से रखा जाता है ताकि वह फिर से संकुचित न हो।
  • सारी प्रक्रिया के दौरान मरीज के जीवन संकेतों पर नजर रखी जाती है, और किसी भी असहजता को तुरंत संबोधित किया जाता है।
  • ज्यादातर मरीज बैलून के फूलने के दौरान दबाव या हल्की असहजता महसूस करते हैं, लेकिन उन्हें गंभीर दर्द नहीं होता।
  • प्रक्रिया पूरी होने के बाद, कैथेटर को धीरे-धीरे निकाला जाता है और चीरे को दबाकर या सुइयों से बंद कर दिया जाता है।

एंजियोप्लास्टी के बाद क्या होता है?

एंजियोप्लास्टी के बाद, मरीज को रिकवरी एरिया में भेजा जाता है, जहां कुछ घंटों तक उसकी निगरानी की जाती है। रिकवरी का समय अस्पताल और मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यत: ज्यादातर मरीज 24 से 48 घंटे में डिस्चार्ज हो जाते हैं, अगर कोई जटिलता न हो।

यह महत्वपूर्ण है कि मरीज डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें, विशेष रूप से ब्लड थिनर्स, और फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स में जाएं ताकि आर्टरी खुली रहे। साथ ही, दिल को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान छोड़ने जैसे जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है।

दिल के दौरे के बाद एंजियोप्लास्टी के क्या फायदे हैं?

एंजियोप्लास्टी दिल के दौरे के बाद बेहद फायदेमंद साबित होती है, क्योंकि यह दिल को रक्त की आपूर्ति बहाल करती है और दिल की मांसपेशी को होने वाले नुकसान को कम करती है। भारत में, जहां दिल के दौरे के मामले बढ़ते जा रहे हैं, समय पर की गई एंजियोप्लास्टी से जीवित रहने की दर में सुधार हो सकता है और भविष्य में दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।

यह प्रक्रिया छाती के दर्द और सांस की कमी जैसे लक्षणों को भी राहत देती है, जिससे मरीज जल्दी अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में लौट सकते हैं। इसके अलावा, एंजियोप्लास्टी से अधिक आक्रमणात्मक सर्जरी जैसे कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (CABG) की आवश्यकता कम हो जाती है।

एंजियोप्लास्टी के जोखिम या जटिलताएं क्या हैं?

एंजियोप्लास्टी आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं, जैसे कि किसी अन्य मेडिकल प्रक्रिया में होते हैं। भारत में, जहां दिल की बीमारियाँ आम हैं, यह महत्वपूर्ण है कि मरीज संभावित जटिलताओं के बारे में जानकारी रखें, जैसे कि कैथेटर डालने वाली जगह पर खून बहना, रक्त वाहिका को नुकसान, या प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल की गई डाई से एलर्जी की प्रतिक्रिया।

कभी-कभी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, या इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत। एक और चिंता का विषय है रिस्टेनोसिस, जो आर्टरी का फिर से संकुचित होना है, लेकिन ड्रग-इलूटिंग स्टेंट्स के इस्तेमाल से यह कम आम हो गया है। यह महत्वपूर्ण है कि मरीज इन जोखिमों के बारे में डॉक्टर से बात करें।

एंजियोप्लास्टी के बाद रिकवरी का समय क्या है?

एंजियोप्लास्टी के बाद रिकवरी का समय अलग-अलग हो सकता है, लेकिन भारत में अधिकांश मरीज एक हफ्ते के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियाँ फिर से शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आर्टरी के ठीक से ठीक होने के लिए कुछ हफ्तों तक भारी सामान उठाने या कड़ी वर्कआउट्स से बचना जरूरी है।

मरीजों को आमतौर पर दिल से जुड़ी समस्याओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण जीवनशैली बदलाव करने की सलाह दी जाती है, जिसमें स्वस्थ आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, और धूम्रपान छोड़ना शामिल है। फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स में जाना और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयाँ लेना भी सफल रिकवरी के लिए बहुत जरूरी है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

  • अगर आपको एंजियोप्लास्टी के बाद छाती में दर्द, सांस की कमी, या कोई अन्य असामान्य असहजता महसूस हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • समय रहते इलाज से जटिलताओं से बचा जा सकता है और उपचार की सफलता सुनिश्चित हो सकती है।
  • अगर मरीज कैथेटर डालने वाली जगह पर संक्रमण के संकेत जैसे लालिमा, सूजन, या डिस्चार्ज महसूस करें, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
  • नियमित चेक-अप्स दिल की सेहत की निगरानी के लिए जरूरी हैं।

निष्कर्ष

एंजियोप्लास्टी एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है, जो भारत में दिल की बीमारियों के बढ़ते मामलों के कारण और भी आम हो गई है। मेडिकल गाइडलाइन का पालन करके और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, लोग एंजियोप्लास्टी के दीर्घकालिक लाभ को बढ़ा सकते हैं और अपनी जीवन गुणवत्ता को सुधार सकते हैं।

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