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डायबिटीज: यह क्या है, इसके प्रकार, कारण, इलाज और नियंत्रण

Last Updated On: Apr 30 2025

डायबिटीज एक क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाली) बीमारी है जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता।

आपका शरीर आपके खाने को ग्लूकोज़, एक प्रकार की शुगर, में तोड़ता है, जिसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इंसुलिन कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज़ अवशोषित करने और उसे ऊर्जा में बदलने में मदद करता है।

जब शरीर में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं होता, तो ग्लूकोज़ कोशिकाओं द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता और खून में ही जमा हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इससे खून में ग्लूकोज़ का स्तर अनियंत्रित हो जाता है, जो दिल की बीमारी, नसों को नुकसान और किडनी की खराबी जैसे कई कॉम्प्लिकेशंस का कारण बन सकता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि क्या डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज है और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है।

डायबिटीज के प्रकार क्या हैं

डायबिटीज के प्रकारों में टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावधि डायबिटीज शामिल हैं।

टाइप 1 डायबिटीज, जिसे जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देती है।

टाइप 1 डायबिटीज को रोका नहीं जा सकता, और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन उचित इलाज और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, इसे इंसुलिन इंजेक्शन और एक स्वस्थ जीवनशैली के ज़रिए कंट्रोल किया जा सकता है।

टाइप 2 डायबिटीज तब होती है जब शरीर इंसुलिन के प्रति रेज़िस्टेंट हो जाता है या फिर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता।

यह अक्सर मोटापे और निष्क्रिय जीवनशैली से जुड़ी होती है, लेकिन यह आनुवांशिक भी हो सकती है। इसे डाइट, एक्सरसाइज़, दवाइयों और कुछ अन्य उपायों से कंट्रोल किया जा सकता है, जिनके बारे में हम आगे इस लेख में बताएंगे। लेकिन इसका भी अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं है।

गर्भावधि डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान होती है और समान्यतौर पर बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है, यानी यह एक ऐसा प्रकार है जिसमें इलाज संभव है, लेकिन भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा हो सकता है। हालांकि, जिन महिलाओं को गर्भावधि डायबिटीज होता है, उन्हें आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है।

डायबिटीज होने के कारण क्या हैं

हालांकि डायबिटीज का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ ऐसे फैक्टर हैं जो इस बीमारी का खतरा बढ़ा सकते हैं, जैसे कि जेनेटिक्स, मोटापा, बैठकर रहने वाली जीवनशैली और आपकी नस्ल या जातीय पृष्ठभूमि।

डायबिटीज का असर समय के साथ दिखाई देता है। जितने लंबे समय तक आपको डायबिटीज रहता है और जितना कम आप अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर पाते हैं, उतना ही ज़्यादा कॉम्प्लिकेशंस का खतरा रहता है — जिनमें से कुछ जानलेवा भी हो सकते हैं।

डायबिटीज के ख़तरे में शामिल हैं

  • दिल की बीमारी (कार्डियोवैस्कुलर) - हार्ट अटैक, सीने में दर्द (एंजाइना), धमनियों का संकरा होना (एथेरोस्क्लेरोसिस) और स्ट्रोक।
  • नसों को नुकसान (न्यूरोपैथी) - ज़्यादा मात्रा में शुगर का सेवन करने से छोटी रक्त वाहिकाओं (कैपिलरीज़) की दीवारें नुकसानग्रस्त हो जाती हैं जो नसों तक पोषण पहुंचाती हैं। इससे सुन्नपन, झनझनाहट, जलन या दर्द हो सकता है जो समान्यतौर पर उंगलियों या पैरों की सिरों से शुरू होकर ऊपर की ओर फैलता है, खासकर पैरों में।
  • किडनी को नुकसान (नेफ्रोपैथी) - किडनी खून से अपशिष्ट छानने में अहम भूमिका निभाती है और यह लाखों छोटे रक्त वाहिकाओं के गुच्छों (ग्लोमेरुली) से बनी होती है। डायबिटीज इस नाज़ुक फिल्टरिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है।
  • आंखों को नुकसान और दृष्टि की कमी (रेटिनोपैथी) - डायबिटिक रेटिनोपैथी एक डायबिटीज से जुड़ी स्थिति है जिसमें आंखों की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और इससे अंधापन भी हो सकता है।
  • पैरों की समस्याएं जो अंग कटवाने तक पहुंच सकती हैं - पैरों में ख़राब रक्त संचार और नसों को नुकसान, कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं जो कभी-कभी अंग कटवाने की नौबत तक ला सकते हैं।
  • त्वचा और मुंह की समस्याएं - अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको बैक्टीरिया या फंगल से होने वाले स्किन इंफेक्शन ज़्यादा होने की संभावना होती है।
  • सुनने में कमी - डायबिटीज वाले लोगों में सुनने की समस्याएं होने की संभावना ज़्यादा होती है।

डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें?

  • अच्छा ब्लड शुगर कंट्रोल बनाए रखना - क्योंकि डायबिटीज एक लाइफस्टाइल बीमारी है, इसलिए इसका लगातार निगरानी रखना बहुत ज़रूरी है।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि किसी भी स्तर पर डायबिटीज के मरीज़ के लिए सबसे अच्छा उपाय है। रोज़ाना 30-45 मिनट पैदल चलना एक बेहतरीन शुरुआत है क्योंकि जब हम शारीरिक गतिविधि करते हैं, तो शरीर ग्लूकोज़ को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करता है।
  • एरोबिक एक्सरसाइज - सप्ताह के ज़्यादातर दिनों में कम से कम 30 मिनट या उससे ज़्यादा मध्यम से तेज़ गति की एरोबिक एक्सरसाइज करें, ताकि हफ़्ते में कुल 150 मिनट पूरे हो सकें। स्विमिंग, तेज़ चलना, दौड़ना और साइकलिंग जैसी एक्टिविटी इसमें मदद कर सकती हैं।
  • रेज़िस्टेंस एक्सरसाइज - हफ़्ते में कुछ बार रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग करने से ताकत, संतुलन और ओवरऑल फिटनेस बेहतर होती है। रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग का मतलब है वो एक्सरसाइज जो किसी तरह के प्रतिरोध के खिलाफ की जाती हैं, जैसे वेटलिफ्टिंग, योग या कैलिस्थेनिक्स।
  • लंबे समय तक निष्क्रिय न रहें - अगर आप ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो हर 30 मिनट में हल्की एक्टिविटी करें। इसमें कुछ मिनट खड़े रहना या थोड़ी देर टहलना शामिल हो सकता है।
  • धूम्रपान छोड़ना - स्मोकिंग से नसों को नुकसान और दूसरी जटिलताएं हो सकती हैं। धूम्रपान फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे शरीर की इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कमज़ोर होती है।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखना - ज़्यादा वजन या मोटापा शरीर पर खासकर दिल और रक्त संचार प्रणाली पर ज़्यादा दबाव डालता है और इससे डायबिटीज की जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
  • स्वस्थ खाने की आदतें - डायबिटीज में यह जरूरी नहीं कि आपको अपनी पसंदीदा चीज़ें छोड़नी पड़ीं, बस उन्हें सीमित मात्रा में या कम बार खाना होगा। आप कुछ पसंदीदा चीज़ें खा सकते हैं लेकिन थोड़ी मात्रा में या कम बार खानी होंगी।

फूड ग्रुप्स निम्नलिखित हैं:

1. सब्जियां –

  • नॉन-स्टार्च वाली: जैसे गाजर, ब्रोकली, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, शिमला मिर्च
  • स्टार्च वाली: जैसे मक्का (कॉर्न), आलू, और हरे मटर

2. फल – जैसे सेब, अंगूर, खरबूजा, केला, बेरीज़, और संतरा
3. अनाज – जैसे चावल, गेहूं, कॉर्नमील, ओट्स, क्विनोआ, और जौ (बार्ली)
4. प्रोटीन – जैसे लीन मीट, चिकन या टर्की, मछली, अंडे
5. डेयरी उत्पाद – बिना फैट या कम फैट वाले दूध, लैक्टोज-फ्री दूध, दही, और पनीर

इसके अलावा, डायबिटीज से जुड़ी संभावित जटिलताओं की नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवाना बेहद ज़रूरी है — जैसे: डायबिटिक रेटिनोपैथी (आंखों को नुकसान), किडनी रोग, कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ (दिल की बीमारी, इन स्क्रीनिंग से किसी भी समस्या का समय रहते पता चल जाता है और उसका इलाज जल्दी शुरू हो सकता है।

डायबिटीज के मरीज़ों के लिए पैरों की देखभाल भी बहुत ज़रूरी है, क्योंकि नसों को नुकसान और रक्त संचार की कमी के कारण पैर में जटिलताएं हो सकती हैं।

चूंकि डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, इसलिए नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहना चाहिए। इससे किसी भी जटिलता को समय रहते रोका, कंट्रोल या टालना संभव हो सकता है।

निष्कर्ष

हालांकि डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे दवाइयों, हेल्दी लाइफस्टाइल, ब्लड शुगर की निगरानी और नियमित मेडिकल चेकअप से आसानी से कंट्रोल और मैनेज किया जा सकता है। अगर सही देखभाल और मैनेजमेंट किया जाए तो डायबिटीज के मरीज़ भी लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जी सकते हैं। डायबिटीज को मैनेज करने के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से मदद लेना ज़रूरी है ताकि एक पर्सनलाइज़्ड प्लान बनाया जा सके। याद रखें, डायबिटीज एक सफर है जिसमें हर दिन खुद के लिए बेहतर विकल्प चुनने की ज़रूरत होती है। मोटिवेटेड रहें और अपनी सेहत का ध्यान रखने से कभी पीछे न हटें।

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