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सायटिका: लक्षण, कारण, जांच, इलाज और डॉक्टर से कब संपर्क करें?
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सायटिका क्या है?
सायटिका एक प्रकार का दर्द होता है जो सायटिक नस की एक या अधिक जड़ों के दबने या चिढ़ने से उत्पन्न होता है। सायटिका पीठ दर्द के सबसे आम कारणों में से एक है, इसलिए इसके लक्षण पहचानना जरूरी है। ज्यादातर लोग जिन्हें सायटिका होता है, उन्हें कमर का निचला हिस्सा, कूल्हों और टांगों में दर्द, झुनझुनाहट और सुन्नपन महसूस होता है।
अगर इसका सही समय पर पता न चले या इलाज न हो, तो सायटिका का दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है और आपकी जिंदगी की क्वालिटी को काफी हद तक खराब कर सकता है। मरीजों को जल्दी और सही रिकवरी के लिए प्रोफेशनल मेडिकल केयर की जरूरत होती है।
इस आर्टिकल के अगले हिस्से में इसके कारण, लक्षण, इलाज और कब डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, इसके बारे में बताया गया है।
सायटिका के लक्षण
सायटिका के दर्द से परेशान मरीजों को आमतौर पर नीचे दिए गए लक्षण हो सकते हैं:
कमर का निचला हिस्सा के एक या दोनों तरफ लगातार दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव। कूल्हे या पीछे की तरफ दर्द भी आम है।
- पैरों में तेज चुभने जैसा दर्द, जो बैठने या खड़े होने पर और बढ़ जाता है।
- पैरों में सुन्नपन और कमजोरी महसूस होना।
- पैरों, पंजों और उंगलियों में झुनझुनाहट या सुई की चुभन जैसा एहसास।
- कभी-कभी, बहुत ही कम मामलों में, पेशाब पर कंट्रोल न रहना भी हो सकता है जो कौड़ा इक्वाइना के कारण होता है।
- अगर सायटिका के लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो जल्दी से जल्दी डॉक्टर से मिलना आपके लक्षणों को जल्दी ठीक करने में मदद कर सकता है।
सायटिका के कारण
सायटिका का दर्द आमतौर पर किसी अंदरूनी समस्या का नतीजा होता है। दर्द का सही इलाज तभी हो सकता है जब इसकी जड़ को पहले ठीक किया जाए।
- सायटिका का सबसे आम कारण होता है लंबर हर्नियेटेड डिस्क। कमर का निचला हिस्सा में होने वाला हर्नियेटेड या फिसला हुआ डिस्क आमतौर पर ज्यादा मेहनत, बढ़ती उम्र या किसी दुर्घटना के कारण होता है। ये सायटिक नर्व पर दबाव डालता है, जिससे दर्द और परेशानी होती है।
- गर्भावस्था में कुछ महिलाओं को सायटिका का दर्द बढ़ सकता है।
- कुछ मामलों में, लंबर स्पाइनल कैनाल में ट्यूमर बन जाने से दबाव बढ़ जाता है, जिससे सायटिक नर्व दब जाती है और सायटिका हो जाता है।
- स्पाइन या सायटिक नर्व में चोट लगने से भी ये समस्या हो सकती है।
- कई लोगों को “स्पोंडिलोलीस्थेसिस" (जब रीढ़ की हड्डी अपनी जगह से फिसल जाती है)।
- लंबर स्पाइनल स्टेनोसिस, जो बुजुर्गों में सायटिका का आम कारण है, इसमें कमर का निचला हिस्सा की स्पाइनल कैनाल सिकुड़ जाती है। जब ये सिकुड़न सायटिक नर्व को दबाती है, तो मरीज को दर्द, झुनझुनाहट और सुन्नपन महसूस होता है।
- एक दुर्लभ स्थिति जिसे कौड़ा इक्वाइना सिंड्रोम कहते हैं, जो रीढ़ की हड्डी के आखिरी हिस्से की नसों को प्रभावित करता है, वह भी सायटिका का कारण बन सकती है। इसमें आमतौर पर पैरों में फैलने वाला दर्द और गुदा के आसपास दर्द होता है।
सायटिका की जांच
डॉक्टर सायटिका का निदान कैसे करेंगे? सायटिका के दर्द का इलाज शुरू करने से पहले, डॉक्टर एक शुरुआती जांच करेंगे, जिसमें वे आपकी लाइफस्टाइल और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे। वे आपकी रीढ़ की हड्डी और पिंडली की मांसपेशियों की स्थिति देखने के लिए फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे। वे यह भी जांचेंगे कि ये मांसपेशियां कितनी मजबूत हैं और क्या ये ठीक तरह से काम कर रही हैं या नहीं।
इसके बाद वे कुछ और गहरी मेडिकल जांचें करेंगे। इनमें से कुछ नीचे दी गई हैं:
- एक्स-रे: यह आपकी हड्डियों की एक इमेज लेता है। इससे डॉक्टर को आपकी रीढ़ की हड्डी में किसी भी असामान्य वृद्धि, ट्यूमर, डिस्क में फ्रैक्चर या सूजन का पता लगाने में मदद मिलती है।
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) और कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: यह जांच शरीर की हड्डियों और सॉफ्ट टिशू का स्पष्ट चित्र प्रदान करती है। इससे हर्नियेटेड डिस्क का पता चलता है और यह भी दिखता है कि कहीं कोई नस दब तो नहीं रही है।
- इलेक्ट्रोमायोग्राफी: यह टेस्ट यह पता लगाने में मदद करता है कि आपकी सायटिक नसें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल्स को कितना अच्छी तरह से ट्रांसमिट कर रही हैं।
सायटिका का इलाज
सायटिका के दर्द के लिए क्या इलाज हो सकते हैं? शुरुआती मेडिकल जांच के बाद, डॉक्टर कुछ घरेलू उपायों की सलाह दे सकते हैं। ये इस तरह हो सकते हैं:
- शारीरिक व्यायाम: डॉक्टर कुछ हल्के स्ट्रेचिंग, योग और एरोबिक एक्सरसाइज करने को कह सकते हैं, जिससे आपकी हैमस्ट्रिंग और पिंडली की मांसपेशियां रिलैक्स होंगी और दर्द भी कम होगा।
- हीट और कोल्ड थेरेपी: प्रभावित हिस्से पर ठंडी सिकाई (जैसे तौलिए में लपेटा हुआ आइस पैक) करने के बाद गर्म सिकाई करने से मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिल सकती है।
- ओवर-द-काउंटर दवाएं: अगर लक्षण बने रहते हैं, तो डॉक्टर कुछ और दवाएं भी दे सकते हैं।
- स्पाइनल इंजेक्शन, जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, जो लोकल एनेस्थीसिया के तहत दिए जाते हैं, में सूजन कम करने वाली गुणधर्म होती है। ये दर्द और सूजन को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। स्पाइनल इंजेक्शन का असर 3 महीने तक रहता है।
- डॉक्टर फिजियोथेरेपी की भी सलाह दे सकते हैं। इसमें आप एक प्रोफेशनल फिजियोथेरेपिस्ट के साथ मिलकर एक्सरसाइज रूटीन तैयार करेंगे, जिससे नसों पर दबाव कम होगा और कोर मसल्स मजबूत होंगी।
- डॉक्टर कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भी दे सकते हैं, जैसे सूजन कम करने वाली दवाएं और मसल रिलैक्सेंट्स।
- अगर ऊपर बताए गए किसी भी इलाज से राहत न मिले, तो आखिरी उपाय सर्जरी हो सकता है।
सायटिका के दर्द में डॉक्टर को कब दिखाएं?
अगर आपको मांसपेशियों में अकड़न या दर्द एक हफ्ते से ज्यादा समय तक हो रहा है और समय के साथ बढ़ रहा है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें।
निष्कर्ष
सायटिका का दर्द आम है और एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार यह करीब 10% से 40% लोगों को प्रभावित करता है। लेकिन सही घरेलू देखभाल और मेडिकल गाइडेंस से आप अपने लक्षणों को अच्छी तरह से कंट्रोल कर सकते हैं।
जल्दी पहचान होने से इलाज की सही योजना बनती है। अपने इलाज के टेस्टिंग हिस्से को अच्छे से कराने के लिए आप मेट्रोपोलिस लैब्स जा सकते हैं। वहां हेल्थ चेकअप के साथ-साथ कई तरह की टेस्ट प्रोफाइल्स में से अपने मेडिकल ज़रूरत के हिसाब से सही ऑप्शन चुन सकते हैं। मेट्रोपोलिस में जाकर आज ही अपना टेस्ट शेड्यूल करें।








